राधिका छंदाधारित चार मुक्तक
आधार छंद- राधिका (मापनीमुक्त मात्रिक, 22 मात्रा)
विधान- 13-9 पर यति, त्रिकल-यति-त्रिकल, गाल-यति-लगा उत्तम, आदि में वाचिक गा अनिवार्य।
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देवों के हैं जो देव, सदा हितकारी।
शिव शम्भू भोलेनाथ , अनघ त्रिपुरारी।
आदर पाते सर्वत्र, उमापति भोले-
बोलो सब जय जयकार , चलो नर-नारी।
साजन सावन का मास, करूंँ मनुहारी।
देखो बिरहन है आज, तुम्हारी प्यारी।
चूड़ी कंगन बेकार, महावर पायल-
आदर सादर बिन हाय, तुम्हारी नारी।
धरती पर भारत देश, प्रमन है मेरा।
अब आओ देखो स्वर्ग, चमन है मेरा।
न्योछावर तन मन प्राण, करूँ मैं अर्पित-
जननी जन्मभूमि मातु, नमन है मेरा।
यह भारत प्यारा देश, धरा पर जन्नत।
है जल जीवन परिवेश,बहुत ही उन्नत।
है सर्वधर्म समभाव, जहाँ हर दिल में-
लूँ जन्म यहाँ सौ बार, यही है मन्नत।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
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