राधा छंद
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( छंद राधा )
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ओम की झंकार में है शक्ति भोले की ।
ओम से ही जागती है भक्ति भोले की ।।
ओम में ही ज्ञान का भंडार होता है ।
ओम को जो साध लेता पार होता है ।।३
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राधे…राधे …!
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महेश जैन ‘ज्योति”,
मथुरा !
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(छंद मंजूषा से)