राधा कृष्ण
राधा कृष्ण
धन्य धरा पुलकित रवितनया, राधा कृष्ण यमुना तट दरसे।
मुरलीधर बंसीधुन डूबे, अधरन बंशीधर मुरली परसे।
पग पखारि कृष्णा तट राधा,देखि-निरखि निज चरणन हरषे।
देखि रमा, छवि-पद-छाया, निज जल मध्य भानुजा हुलसे।
देखि युगल छवि राधे मोहन की, देवन सरिता तट को तरसे।
कालिंदी कूल गिरि सुंदर सोहे,देव करहिं दरसन शुभ नभ से।
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—राजेंद्र प्र. गुप्ता, मौलिक/स्वरचित।