मन भ्रमर
मन भ्रमर
(आनंद वर्धक छंद )
डालियों पर, गा रहीं चिड़ियाँ चहक।
क्यारियों में, मोगरे की है महक।
गीत होठों, पर रहे पल-पल मचल। आज मन हर्षित,नहीं होता विकल।
मीत की पाती, मिली मन में लहक।
मौन हूँ मैं, किंतु मन में है चहक।
आज होगा मीत का शुभ आगमन।
ओ, दुखों का, हो यहीं पर निर्गमन।
देखने उनको, हमारा मन विकल।
हर्ष इतना, जान न जाए निकल।
चेहरा जैसे खिला कोई जलज।
भ्रामरी सा मन निछावर हो सहज।
इंदु पाराशर