*राधा और माधव का रास था ( घनाक्षरी )*
राधा और माधव का रास था ( घनाक्षरी )
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थिरक रहे हों स्वर्ण-नीलमणि एक साथ
इस भॉंति राधा और माधव का रास था
बरस रहा था रस बरबस हृदय में
हास-परिहास मानस में उल्लास था
ध्वनि नूपुरों की छन-छन-छन-छना-छन
छलक रही छटा का अक्षय विकास था
हों हजार श्याम हों हजार ब्रजराजरानी
हुआ रास-महारास में यह आभास था
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रचयिता:रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451