Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Dec 2023 · 2 min read

रात

रात
————
गुड़िया का जन्मदिन था। गुड़िया के पिता जी ने गुड़िया को उपहार में साईकिल लाकर दी। नयी साईकिल पाकर गुड़िया बहुत खुश हुई।
रविवार का दिन था। गुड़िया ने देर तक साइकिल चलाई और अपनी सहेलियों के साथ साइकिल रेस भी लगायी। नयी साईकिल की खुशी इतनी अधिक थी कि गुड़िया साइकिल को खुद से जरा देर भी अलग नहीं करना चाहती थी।
कुछ देर बाद साइकिल का खेल खेलते-खेलते अचानक गुड़िया गिर गयी। गिरने के बाद उसे अधिक चोटें आयीं।
अभिभावक ने तुरन्त डॉक्टर को दिखाया। उपचार के बाद डॉक्टर ने आराम करने की सलाह दी तो गुड़िया परेशान होकर माँ से बोली-, “माँ! अब हम स्कूल कैसे जायेंगे?”
माँ ने समझाते हुए कहा कि-, ” परेशान न हो, ठीक हो जाओगी। तब स्कूल पहले की तरह रोज़ जाना। अभी घर पर रहकर ही कुछ दिन पढ़ाई करो।”
जैसे-जैसे समय बीता, गुड़िया की बैचेनी बढ़ती गयी। उसे स्कूल से बहुत लगाव था। पढ़ाई-लिखाई में भी गुड़िया नम्बर वन थी।
रात का समय था। गुड़िया चुपचाप बैठी थी। माँ ने कहा-, ” गुड़िया! तुम उदास क़्यों हो? अब तो तुम ठीक हो रही हो।”
“हाँ, माँ! मैं ठीक तो हो रही हूँ, पर हुई नहीं हूँ। हम ठीक होकर स्कूल जाना चाहते है माँ! आखिर हम कब स्कूल जाने लायक हो जायेंगे?”
इतना कहकर गुड़िया रोने लगी।
माँ ने गुड़िया के आँसू पोंछे और प्यार से समझाया कि-, ” बेटा! देखो, जैसे रात के बाद सुबह आती है.. ये रात का अँधेरा उजाला में बदल जाता है, ठीक इसी तरह तुम जल्द ही ठीक हो जाओगी। ये दु:ख-सुख भी समय बदलते ही बदल जायेगा।”
गुड़िया को बात समझ में आ गयी और मुस्कुराते हुए बोली-, ” ठीक है माँ! हम अब रोयेंगे नहीं। जल्द से ठीक होने की कोशिश करेंगे और कभी गलत तरीके से कोई खेल नहीं खेलेंगे।

शिक्षा-
हमें कोई ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए, जिसके कारण हमारी पढ़ाई बाधित हो।

शमा परवीन
बहराइच (उत्तर प्रदेश)

1 Like · 233 Views

You may also like these posts

ई-संपादक
ई-संपादक
Dr. Pradeep Kumar Sharma
प्रतिभा
प्रतिभा
Rambali Mishra
मन का गीत
मन का गीत
Arvind trivedi
जी चाहता है रूठ जाऊँ मैं खुद से..
जी चाहता है रूठ जाऊँ मैं खुद से..
शोभा कुमारी
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
*पुराने जमाने में सर्राफे की दुकान पर
*पुराने जमाने में सर्राफे की दुकान पर "परिवर्तन तालिका" नामक छोटी सी किताब
Ravi Prakash
सम्बोधन
सम्बोधन
NAVNEET SINGH
मिले हम तुझसे
मिले हम तुझसे
Seema gupta,Alwar
माँ की कहानी बेटी की ज़ुबानी
माँ की कहानी बेटी की ज़ुबानी
Rekha Drolia
भ्रातृ चालीसा....रक्षा बंधन के पावन पर्व पर
भ्रातृ चालीसा....रक्षा बंधन के पावन पर्व पर
डॉ.सीमा अग्रवाल
..
..
*प्रणय*
अब कोई मफा़दात से हट कर नहीं मिलता
अब कोई मफा़दात से हट कर नहीं मिलता
Kamil Badayuni
ख़्याल आते ही क़लम ले लो , लिखो तुम ज़िंदगी ,
ख़्याल आते ही क़लम ले लो , लिखो तुम ज़िंदगी ,
Neelofar Khan
पॉजिटिव मैरिज
पॉजिटिव मैरिज
पूर्वार्थ
मत छेड़ हमें देशभक्ति में हम डूबे है।
मत छेड़ हमें देशभक्ति में हम डूबे है।
Rj Anand Prajapati
विनती मेरी माँ
विनती मेरी माँ
Basant Bhagawan Roy
Sorrow and I.
Sorrow and I.
Priya princess panwar
- मेरे अपनो ने डुबो दी मेरी नैया अब में क्या करू -
- मेरे अपनो ने डुबो दी मेरी नैया अब में क्या करू -
bharat gehlot
The Natural Thoughts
The Natural Thoughts
Buddha Prakash
कुण्डलिया छंद #हनुमानजी
कुण्डलिया छंद #हनुमानजी
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
ब्रह्मांड की आवाज
ब्रह्मांड की आवाज
Mandar Gangal
साधारण असाधारण
साधारण असाधारण
Shashi Mahajan
निहार रही हूँ उस पथ को
निहार रही हूँ उस पथ को
शशि कांत श्रीवास्तव
अमृतकलश
अमृतकलश
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
3691.💐 *पूर्णिका* 💐
3691.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
आवाजें
आवाजें
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
कल एक नज़र जिंदगी पर डाली तो
कल एक नज़र जिंदगी पर डाली तो
Jyoti Roshni
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
खिलते फूल
खिलते फूल
Punam Pande
उम्मीद
उम्मीद
Ruchi Sharma
Loading...