रात निकली चांदनी संग,
रात निकली चांदनी संग,
तारों भरे आसमां में;
करता चांद ठिठोली है।
कोई ज़रा खामोशी से भी पूछे,
क्यों रहती वो इतनी अकेली है।
रात निकली चांदनी संग,
तारों भरे आसमां में;
करता चांद ठिठोली है।
कोई ज़रा खामोशी से भी पूछे,
क्यों रहती वो इतनी अकेली है।