रात घिराकर तम घना, देती है आराम
रात घिराकर तम घना, देती है आराम
सूरज देकर दिन हमें, कहे करो अब काम
अन्न हमें देती धरा , नभ देता बरसात
हे अजर अमर सत् प्रकृति,शत-शत तुझे प्रणाम
डॉ अर्चना गुप्ता
रात घिराकर तम घना, देती है आराम
सूरज देकर दिन हमें, कहे करो अब काम
अन्न हमें देती धरा , नभ देता बरसात
हे अजर अमर सत् प्रकृति,शत-शत तुझे प्रणाम
डॉ अर्चना गुप्ता