रात अभी अलसाई है, जरा ठहरो।
रात अभी अलसाई है, जरा ठहरो।
उसने ली अंगडाई है, जरा ठहरो।।
बस यूँ ही रूका रहे मंजर साकी,
बची हुई कविताई है, जरा ठहरो।।
— ननकी 02/11/2024
रात अभी अलसाई है, जरा ठहरो।
उसने ली अंगडाई है, जरा ठहरो।।
बस यूँ ही रूका रहे मंजर साकी,
बची हुई कविताई है, जरा ठहरो।।
— ननकी 02/11/2024