रातें जाग कर गुजरती हैं मेरी,
रातें जाग कर गुजरती हैं मेरी,
नींद भी आंखों से रुसवा हुई।
चाहा जिसे जान से ज्यादा,
उसकी गैरों पर इनायत हुई।
रातें जाग कर गुजरती हैं मेरी,
नींद भी आंखों से रुसवा हुई।
चाहा जिसे जान से ज्यादा,
उसकी गैरों पर इनायत हुई।