*राज दिल के वो हम से छिपाते रहे*
राज दिल के वो हम से छिपाते रहे
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राज दिल के वो हम से छुपाते रहे,
रोज खुशियाँ हम उन पर लुटाते रहे।
हाल ए दिल का है क्या बतायें बता,
दाग घावों के हिय से मिटाते रहे।
याद आई उन्हीं की नजर रुक गई,
नैन भर कर आँसू वो रुलाते रहे।
वो घड़ी दुखदायी हो आमने-सामने,
साथ बन कर साया वो निभाते रहे।
खास हम दम हर दम वो हमारे सदा,
हाथ उन से हर दम हम मिलाते रहे।
बाद में जो आए वो हमारा नहीं,
मुश्किलों में मनसीरत हँसाते रहे।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली +कैथल)