*अग्रोहा फिर से मिले, फिर से राजा अग्र (कुंडलिया)*
अग्रोहा फिर से मिले, फिर से राजा अग्र (कुंडलिया)
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अग्रोहा फिर से मिले ,फिर से राजा अग्र
अग्रवाल भावुक हृदय ,भीतर से है व्यग्र
भीतर से है व्यग्र ,गोत्र फिर नए चलाओ
करो अठारह यज्ञ ,अहिंसा फिर से लाओ
कहते रवि कविराय ,मानता है जग लोहा
धन में समतावान ,राज्य अद्भुत अग्रोहा
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर( उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451