Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 May 2021 · 2 min read

राजेन्द्र यादव का रचना-संसार

कई बार मुलाकात हुई है जिनसे, तो जिनके कई ‘पत्र’ मेरे पास है और जिनकी सम्पादकत्व में ‘हंस’ में कई बार छपा हूँ मैं; उस 21वीं सदी के कबीर व नई कहानी के पिता “राजेन्द्र यादव” का जन्मदिन 29 अगस्त है, तो पुण्यतिथि 28 अक्टूबर है।
साहित्यकार राजेन्द्र यादव का रचना-संसार:-
■कहानी-संग्रह :-
देवताओं की मूर्तियाँ: 1951, खेल-खिलौनेः 1953, जहाँ लक्ष्मी कैद हैः 1957, अभिमन्यु की आत्महत्याः 1959, छोटे-छोटे ताजमहलः 1961, किनारे से किनारे तकः 1962, टूटनाः 1966, चौखटे तोड़ते त्रिकोणः 1987, ये जो आतिश गालिब (प्रेम कहानियाँ): 2008, यहाँ तकः पड़ाव-1, पड़ाव-2 (1989), वहाँ तक पहुँचने की दौड़, हासिल.

■उपन्यास :-
सारा आकाशः 1955 (‘प्रेत बोलते हैं’ के नाम से 1951 में), उखड़े हुए लोगः 1956, कुलटाः 1958, शह और मातः 1959, अनदेखे अनजान पुलः 1963, एक इंच मुस्कान (मन्नू भंडारी के साथ) 1963, मन्त्रविद्धा: 1967, एक था शैलेन्द्र: 2007.

■कविता-संग्रह :-
आवाज तेरी हैः 1960,

■नाटक :-
चैखव के तीन नाटक (सीगल, तीन बहनें, चेरी का बगीचा)

■अनुवाद :-
उपन्यास : टक्कर (चैखव), हमारे युग का एक नायक (लर्मन्तोव) प्रथम-प्रेम (तुर्गनेव), वसन्त-प्लावन (तुर्गनेव), एक मछुआ : एक मोती (स्टाइनबैक), अजनबी (कामू)- ये सारे उपन्यास ‘कथा शिखर’ के नाम से दो खण्डों में- 1994, नरक ले जाने वाली लिफ्ट: 2002, स्वस्थ आदमी के बीमार विचार: 2012

■समीक्षा-निबन्ध :-
कहानीः स्वरूप और संवेदनाः 1968, प्रेमचन्द की विरासतः 1978, अठारह उपन्यासः 1981 औरों के बहानेः 1981, काँटे की बात (बारह खण्ड)1994, कहानी अनुभव और अभिव्यक्तिः 1996, उपन्यासः स्वरूप और संवेदनाः 1998, आदमी की निगाह में औरतः 2001, वे देवता नहीं हैं: 2001, मुड़-मुड़के देखता हूँ: 2002, अब वे वहाँ नहीं रहते: 2007, मेरे साक्षात्कारः 1994, काश, मैं राष्ट्रद्रोही होता : 2008, जवाब दो विक्रमादित्य (साक्षात्कार): 2007.

■सम्पादन :-
एक दुनिया समानान्तरः 1967,
प्रेमचन्द द्वारा स्थापित कथा-मासिक ‘हंस’ का अगस्त 1986 से,
कथा-दशकः हिन्दी कहानियाँ (1981 -90),
आत्मतर्पणः 1994, अभी दिल्ली दूर हैः 1995, काली सुर्खियाँ (अश्वेत कहानी-संग्रह): 1995, कथा यात्रा: 1967, अतीत होती सदी और त्रासदी का भविष्य: 2000 औरत : उत्तरकथा 2001, देहरी भई बिदेस, कथा जगत की बाग़ी मुस्लिम औरतें, हंस के शुरुआती चार साल 2008 (कहानियाँ), वह सुबह कभी तो आयेगी (साम्प्रदायिकता पर लेख): 2008.

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 779 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अवसर
अवसर
संजय कुमार संजू
भरी रंग से जिंदगी, कह होली त्योहार।
भरी रंग से जिंदगी, कह होली त्योहार।
Suryakant Dwivedi
संवेग बने मरणासन्न
संवेग बने मरणासन्न
प्रेमदास वसु सुरेखा
3335.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3335.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
तेरी नाराज़गियों से तुझको ठुकराने वाले मिलेंगे सारे जहां
तेरी नाराज़गियों से तुझको ठुकराने वाले मिलेंगे सारे जहां
Ankita Patel
एक मैसेज सुबह करते है
एक मैसेज सुबह करते है
शेखर सिंह
खोखले शब्द
खोखले शब्द
Dr. Rajeev Jain
"कवि के हृदय में"
Dr. Kishan tandon kranti
जीनते भी होती है
जीनते भी होती है
SHAMA PARVEEN
चमकते सूर्य को ढलने न दो तुम
चमकते सूर्य को ढलने न दो तुम
कृष्णकांत गुर्जर
आईने में ...
आईने में ...
Manju Singh
बहुत सी बातों को यूँही छोड़ देना चाहिए बिना किसी सवाल जवाब न
बहुत सी बातों को यूँही छोड़ देना चाहिए बिना किसी सवाल जवाब न
पूर्वार्थ
भूल गया कैसे तू हमको
भूल गया कैसे तू हमको
gurudeenverma198
.......अधूरी........
.......अधूरी........
Naushaba Suriya
🌻 *गुरु चरणों की धूल* 🌻
🌻 *गुरु चरणों की धूल* 🌻
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मैं हर रोज़ देखता हूं इक खूबसूरत सा सफ़र,
मैं हर रोज़ देखता हूं इक खूबसूरत सा सफ़र,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दरबारियों!
दरबारियों!
*प्रणय*
मुर्दे भी मोहित हुए
मुर्दे भी मोहित हुए
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
जय श्री राम
जय श्री राम
Er.Navaneet R Shandily
माँ दहलीज के पार🙏
माँ दहलीज के पार🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
तेवरी
तेवरी
कवि रमेशराज
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
लहर लहर लहराना है
लहर लहर लहराना है
Madhuri mahakash
तुम,दर-दर से पूछ लो
तुम,दर-दर से पूछ लो
Inder Bhole Nath
जीवन दर्शन (नील पदम् के दोहे)
जीवन दर्शन (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
वीणा-पाणि वंदना
वीणा-पाणि वंदना
राधेश्याम "रागी"
Dr arun kumar shastri
Dr arun kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
फ़ितरत को ज़माने की, ये क्या हो गया है
फ़ितरत को ज़माने की, ये क्या हो गया है
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ये बेचैनी ये बेबसी जीने
ये बेचैनी ये बेबसी जीने
seema sharma
बदलती हवाओं की परवाह ना कर रहगुजर
बदलती हवाओं की परवाह ना कर रहगुजर
VINOD CHAUHAN
Loading...