*राजा राम सिंह : रामपुर और मुरादाबाद के पितामह*
राजा राम सिंह : रामपुर और मुरादाबाद के पितामह
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किंवदंति है कि राजा राम सिंह के नाम पर रामपुर रियासत का नामकरण हुआ था । यह कठेरिया राजपूत हैं, लेकिन रामपुर के इतिहास से संबंधित पुस्तकों में राजा रामसिंह का उल्लेख न के बराबर है ।
17 जून 2021 को अमर उजाला में प्रकाशित डॉ. अजय अनुपम के एक लेख से राजा राम सिंह के इतिहास पर प्रकाश पड़ता है । डॉ अजय अनुपम मुरादाबाद के इतिहास पर पीएच.डी. और डी.लिट किए हुए हैं । इस तरह रामपुर का इतिहास हमें मुरादाबाद के इतिहास से पता चलता है । यह इतिहास मुरादाबाद गजेटियर ,कुमायूं का इतिहास तथा ब्रिटिश लाइब्रेरी के दस्तावेजों में प्राप्त होता है।
राजा राम सिंह की हत्या 1626 में शाहजहां के सेनापति रुस्तम खाँ ने की थी । अमर उजाला में प्रकाशित लेख के अनुसार सीधे युद्ध में रुस्तम खाँ राजा राम सिंह पर विजय प्राप्त नहीं कर सका । अतः धोखे से उसने पूजा करते समय राजा राम सिंह की हत्या कर दी थी । तदुपरांत मुरादाबाद क्षेत्र रुस्तम खान के अधिकार में आ गया। उसने पहले इसका नाम रुस्तम नगर रखा तथा बाद में शाहजहां के सामने जाने पर इसका नाम शाहजहां के पुत्र मुराद के नाम पर मुरादाबाद रखा हुआ शाहजहां को बताया। इस तरह राजा रामसिंह के पश्चात उनकी रियासत का एक हिस्सा मुरादाबाद कहलाया। दूसरी तरफ राजा रामसिंह की ही रियासत का एक हिस्सा रामपुर था। इसका नामकरण राजा रामसिंह के नाम पर किया गया था ।
1626 के बाद कठेरिया राजपूतों का दबदबा संभवतः बहुत कम होता चला गया। 1907 में पहली बार अफगानिस्तान से दाऊद खाँ नाम का एक लड़ाकू योद्धा कठेरिया क्षेत्र में प्रविष्ट हुआ, जिसके पौत्र फैजुल्ला खां को रामपुर रियासत का विधिवत रूप से प्रथम नवाब माना जाता है।
जिस तरह कठेरिया रियासत का एक हिस्सा मुरादाबाद नामकरण के साथ प्रचलन में आ गया ,उसी तरह रामपुर को भी कुछ समय तक मुस्तफाबाद कहने की कोशिश की गई थी । नवाबी दौर की अनेक पुस्तकों में मुस्तफाबाद नाम का उल्लेख आता है। लेकिन बाद में यह रामपुर नाम से ही मशहूर हुआ । इसका अभिप्राय यह है कि रामपुर नाम से राजा रामसिंह की रियासत जानी जाती रही होगी ।
डॉ अजय अनुपम के अनुसार राजा रामसिंह कठेरिया की याद में रामपुर बसाया गया था ,जो बाद में नवाबी रियासत हो गया था ।
इस तरह राजा रामसिंह के पश्चात कठेर साम्राज्य छिन्न-भिन्न हो गया तथा कठेर खंड का एक बड़ा हिस्सा मुरादाबाद के नाम से जाना जाने लगा। ऐसे में बाकी हिस्से को रामपुर नाम प्रदान किया गया । इसी के समानांतर रामपुर को मुस्तफाबाद नाम प्रदान करने का प्रयास भी रहा ,जो बाद में असफल सिद्ध हुआ।
बहरहाल इतना तो जरूर हुआ कि रामपुर के इतिहास को जानने के लिए हमें जिस आधारभूत सामग्री की आवश्यकता पड़ेगी, वह रामपुर के इतिहास से हटकर मुरादाबाद और कुमायूं के इतिहास में संग्रहित है तथा ब्रिटिश लाइब्रेरी के दस्तावेजों में उसे खोजा जा सकता है। इतिहास वास्तव में गहन शोध का विषय होता है।
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लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
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