#राजनैतिक_आस्था_ने_आज_रघुवर_को_छला_है।
#राजनैतिक_आस्था_ने_आज_रघुवर_को_छला_है।
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राजनैतिक आस्था ने आज रघुवर को छला है।
दाँव यह किसने चला है?
राम जिसको पूजते थे वह अवध की धन्य धरती।
पातकी जन के हृदय की नित्य ही यह ताप हरती।
यह अयोध्या राम के अनुराग की शास्वत कहानी।
युग- युगों से यह सनातन धर्म की है राजधानी।
आप के आराध्य रघुवर, पल्लवित बारह कला है।
दाँव यह किसने चला है?
राम के वनवास की दोषी नहीं है यह अयोध्या।
आज क्यों इस बात की देनी पड़ी इसको इषध्या।
जानकी वनवास का सब दे रहे हैं तथ्य मिथ्या।
किंवदंती मात्र है सब मान लो यह कथ्य मिथ्या।
पुण्यकर्ता को अघी कह दे सियासत वह बला है।
दाँव यह किसने चला है?
राम को प्रिये अवधवासी अयोध्या प्राण जैसे।
है नहीं मिथ्या सभी लगते उन्हें तनत्राण जैसे।
दोष मढ़ने की नहीं यह राम की अनुरागिणी है।
जानकी रघुनाथ की है कृष्ण की यह रुक्मिणी है।
राम के भक्तों की खातिर यह समय इक जलजला है।
दाँव यह किसने चला है?
आप की अज्ञानता ने राम को दी वेदनाएँ।
थी नहीं इससे बड़ी वनवास की तब यातनाएँ।
राजनैतिक हार है परिणाम उनके कर्म का यह।
है क्षणिक आवेश केवल क्षति नहीं सत्कर्म का यह।
पंच वर्षों तक किया जो कर्म वैसा ही फला है।
दाँव यह किसने चला है?
✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’