राजनीति व्यवसाय
बीच सड़क में काटकर ,माँ को रहे पकाय !
राजनीति दुर्बुद्धि से ,क्या-क्या आज कराय!!
कर जाते हैं बे अदब, ऐसे कर्म कुकर्म !
ऐसो को आती नही,पता नही क्यो शर्म !!
करके कर्म कुकर्म खुद,.खींच रहे हैं चित्र !
राजनीति का गिर गया,कितना आज चरित्र !!
लगता हुआ विपक्ष अब,पूरी तरह हताश!
ला आडर के नाम मे, मुद्दे रहा तलाश!!
रमेश शर्मा