राजनीति धर्म है तो आचार का मर्म भी-
राजनीति धर्म है तो आचार का मर्म भी,
विकास का प्रवाह तो प्रपंच का भ्रम भी।
कुछ धार्मिक उन्माद तो निर्मूल मुद्दे गर्म भी,
कुछ नायक सुशील तो कुछ बेशर्म भी।।
राजनीति धर्म है तो आचार का मर्म भी,
विकास का प्रवाह तो प्रपंच का भ्रम भी।
कुछ धार्मिक उन्माद तो निर्मूल मुद्दे गर्म भी,
कुछ नायक सुशील तो कुछ बेशर्म भी।।