राखी
जो राखी को त्योहार सखी
बड़ो नीको लागे री…….
जब सावन को महीना आवे ,
फूलें फूल , हरियारी छावे ।
कारे बदरवा पानी भर भर ,
रात दिना ख़ूबई बरसाबे ।
रिमझिम सी परत फुहार ,
सुरग सुई फीको लागे री …….
बहन भैया खों बाँधें रखियाँ ,
भर आवें दोउन की अँखियाँ ।
छुटपन की खबरें आ जावें ,
जब घर आवें प्यारी सखियाँ।
झूला दें अम्बुअन की डार ,
बुरो कँहा की को लागे री ……
– सतीश शर्मा सिहोरा , नरसिंहपुर