राखी
स्नेह अपार लिए उर में, बहना मेरी आँगन आज पधारी
कंठ लगा मुझको अपने, गागर ममता की मुझ पर डारी
रिश्ता न कोई सारे जहां में, है भाई बहन की प्रीत सा पावन
पाकर पावन प्रीत बहन की, गुलजार हुई जीवन फुलवारी।।
स्वरचित
योगी रमेश कुमार
जयपुर, राजस्थान