*राखी लेकर बहना है भाई के घर आई*
राखी लेकर बहना है भाई के घर आई
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सूनी रह ना जाए कहीं भाई की कलाई।
राखी ले कर बहना है भाई के घर आई।
बहन -भाई का रिश्ता मनोरम उपहार है,
अप्रतिम,अनुपम,अलौकिक सा प्यार है,
पावन,पुनीत खुशियाँ गोदी में है समाई।
राखी ले कर बहना है भाई के घर आई।
चंदन ,अक्षत, रोली,धागा प्रेम प्रतीक है,
रेशम की डोरी से यूँ बढ़ती गूढ़ी प्रीत है,
सज संवर कर हाथों में मिठाई भी लाई।
राखी ले कर बहना है भाई के घर आई।
बहनों को भाई हों सदा जान से प्यारें है,
माँ के जाये बड़े दुलारे आँखों के तारें हैँ,
राखी आई खुशियाँ लाई फूली न समाई।
राखी ले कर बहना है भाई के घर आई।
मनसीरत स्नेह भरी विश्वासों की डोर है,
रंग बिरंगी फुलवारी होती ना कमजोर है,
भूले बिसरे रिश्तों को जिंदा रखने आई।
राखी ले कर बहना है भाई के घर आई।
सूनी रह ना जाए कहीं भाई की कलाई।
राखी ले कर बहना है भाई के घर आई।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)