#राखी बहनी के मया( छत्तीसगढ़ी गीत)#
####राखी####
अगाध मया दाई दीदी बहिनि मन के,
ये राखी राखी म ।
छोटे बड़े भैया मन के मया ल बांधे,
आखि पाखी म ।।
सावन के महीना म संगी ,सबला राखी सुरता आथे ।
नानक रेसम के डोरी म ,भाई बहिनि के अगाध मया बंधाथे ।।
कतको मया बिसराले बहिनि ,राखी तोला जगाथे ।
जेन बहिनि के भाई नइये ,झर झर आसू बोहाथे ।।
जियत मरत ले तोला बांधे, अपन मन के थाती म ।
अगाध मया दाई दीदी बहिनि मन के,
ये राखी राखी म।।।
मन म संजोये तन म बसाये ,ममता के पियास ।
झन टूटय भाई बहिनि के मया,इही लगा के आस ।।
दुःख सुख म भैया खड़ा होही ,मन म धरे बिसवास ।
अपन पति के सेवा करत करत मोहटि म टूटय सांस ।।
अमर रईही भाई बहिनि के मया ,ये छत्तीसगढ़ के माटी म ।
अगाध मया दाई दीदी बहिनि मन के ,ये राखी राखी म ।।।।
दाई ददा अउ भैया मन के ,मया छोड़ ससुरार जब जाथे ।
हाय रे दरद ओ दिन के ,अंतस ल धरर धरर जब रोवाथे ।।
छूठथे संगी साथी गली खोर ,अउ गांव के अमरइया ।
तीजा पोरा बर लाये जाथे ,गदगद होके भैया ।।
सास ससुर अउ पति के सेवा खातिर ,
मन ल बांधे बसी म।
अगाध मया दाई दीदी बहिनि मन के ,
ये राखी राखी म।।।।।
अर्जुन भास्कर
भोपाल मप्र
8717855517