राखी पर्व
✍️ सोहर गीत ✍️
शीर्षक – “राखी पर्व”
आई गइल सावन महिनवा,
पूर्णिमा तिथि दिनवा नु हो।
बहिनी बांधे कलइया राखी भइया के,
खुश होला मनवा नु हो।।
रेशम के डोर रक्षाबंधन,
अटूट बंधनवा नु हो।
बहिनी बांधे कलइया राखी भइया के,
खुश होला मनवा नु हो।।
मथवा तिलक करे भइया के,
मुख मिष्ठनवा नु हो।
बहिनी बांधे कलइया राखी भइया के,
खुश होला मनवा नु हो।।
थरिया सजाई आरतिया उतारि
भाई भवनवा नु हो।
बहिनी बांधे कलइया राखी भइया के,
खुश होला मनवा नु हो।।
इहे तिउहार ह सुरक्षा अउरी
प्रेम के निशनवा नु हो।
बहिनी बांधे कलइया राखी भइया के,
खुश होला मनवा नु हो।।
बदले में भेंट उपहार के
देलें ऊ समनवा नु हो।
बहिनी बांधे कलइया राखी भइया के,
खुश होला मनवा नु हो।।
मांगेली लंबी उमिरिया
भाई के अरमनवा नु हो।
बहिनी बांधे कलइया राखी भइया के,
खुश होला मनवा नु हो।।
भइया शपथ लेलें बहिनी के,
सुरक्षा, सम्मनवा नु हो।
बहिनी बांधे कलइया राखी भइया के,
खुश होला मनवा नु हो।।
“रागी” राखी पर्व के फइलेला
ज्योति जहनवा नु हो।
बहिनी बांधे कलइया राखी भइया के,
खुश होला मनवा नु हो।।
🙏 कवि 🙏
राधेश्याम “रागी” जी
कुशीनगर उत्तर प्रदेश से