राखी का त्यौहार
विधा-दोहा
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भाई घर की शान है, बहना है अभिमान।
देखो बहना के बिना,सुना लगता मकान।।
भाई कि कलाई सजे, बहना के ही हाथ।
छूटे से छूटे नही,इन दोनों का साथ।।
बड़ी बहना माँ सम तो,छोटी सखी समान।
भाई में बसती सदा,बहनों की है जान।।
मात-पिता रखते सदा,दोनों को हि समान।।
दोनों के ही प्रेम मे, रहते इन के प्रान।।
बहना घर की लाज है, भाई है सरताज।
रहे सदा झुक के बहन,भैया का है राज।।
भाई की चिंता करे,करे नही व्यापार।
एक रेशम की डोर से,बांधे प्रेम अपार।।
संध्या चतुर्वेदी
मथुरा उप