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19 Aug 2024 · 1 min read

राखड़ी! आ फकत

राखड़ी! आ फकत
अेक डोरौ नी हैं
आ हैं आस,
विसवास,
प्रीत, नेह,
जिम्मेवारी,
अर फरज रो बंधण
जिणरी बैंनड़ राखै हैं
भाई सूं उम्मीद
हर-पल हर वगत
जलम जलम तक।

जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया..✍️

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