राखड़ी! आ फकत
राखड़ी! आ फकत
अेक डोरौ नी हैं
आ हैं आस,
विसवास,
प्रीत, नेह,
जिम्मेवारी,
अर फरज रो बंधण
जिणरी बैंनड़ राखै हैं
भाई सूं उम्मीद
हर-पल हर वगत
जलम जलम तक।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया..✍️
राखड़ी! आ फकत
अेक डोरौ नी हैं
आ हैं आस,
विसवास,
प्रीत, नेह,
जिम्मेवारी,
अर फरज रो बंधण
जिणरी बैंनड़ राखै हैं
भाई सूं उम्मीद
हर-पल हर वगत
जलम जलम तक।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया..✍️