रह रह कर लिपटत सजन..श्वान व विडाल दोहा
– श्वान दोहा -2 गुरु 44 लघु
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उमड़ घुमड़ गरजत जलद,….घनन घनन घनघोर ।
रह-रहकर लिपटत सजन, धड़कत हिय बहु जोर ।।
रमेश शर्मा.
विडाल दोहा -३ गुरु ४२ लघु
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मटक-मटक कर जब चलत , …पनघट पर हर नार ।
पुलकित तन-मन खुद त्वरित, थिरकत जिय के तार ।।
रमेश शर्मा.