रहो न ख़्वावों में
गीत
रहो न ख्वाबों में अब जिंदगी में तुम आओ।
ये तोड़ बंदिशें बाहों में अब समा जाओ।।
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अगर मिले जो इज़ाज़त तो हाल-ए-दिल कह दूँ।
है चाह जन्मों की दिल में वो आज सब कह दूँ।।
भरूँ मैं माँग तेरी तुम करीब आजाओ।
ये तोड़ बंदिशें बाहों…
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जो तेरे नाम का श्रंगार मुझको मिल जाये।
मिले वो प्यार कि तन फूल सा ये खिल जाए।
जहां भी देखो सनम सिर्फ मुझको ही पाओ
ये तोड़ बंदिशें बाहों..
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मिला जो प्यार तेरा मिल गई मुझे जन्नत।
करूँगा कोशिशें मैं तेरी पूरी हो मन्नत।।
भुला के जग मेरी बाहों में अब समा जाओ।
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तुझे जो पाया तो देखा है तुझमे ही रब को।
तेरे ही प्यार को पाकर भुलादूँ मैं खुदको।
रहे न अपनी खबर दिल पे मेरे छा जाओ।।
श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव साईंखेड़ा