रहे मुहब्बत सदा ही रौशन..
खड़े -खड़े दिल पे दूर से ही,सितम न दूरी का ढा के रखिए,
करीब आकर हमारे अब तो, नज़र नज़र से मिला के रखिए।।
ये सुर्ख़ मेंहदी की है जो रंगत, वफ़ा की ख़ुशबू लिये हुए है,
हसीन चेहरा हथेलियों में, न ऐसे अपना छुपा के रखिए।।
बहुत है आसां लगाना दिल का,इसे निभाना मगर है मुश्किल,
न कर दे रुसवा कहीं ज़माना, वफ़ा की रस्में निभा के रखिए।।
लगा ले कितना भी ज़ोर कोई,बुझे बुझाये न वो किसी से,
रहे मुहब्बत सदा ही रौशन,चराग़ ऐसा जला के रखिए।।
नज़र में जबसे हैं आप आये, नज़र की हसरत यही रही है,
कि आपको देख लूँ मैं जी भर, नक़ाब रुख़ से हटा के रखिए।।
क़दम-क़दम पर मिलेंगे काँटे,चमन में फूलों के दरमियां भी,
कहीं न कर दें वो चाक दामन,कि उनसे दामन बचा के रखिए।।
जो ” अश्क ” आंखों में आ भी जाये, लबों पे रखिए सदा तबस्सुम,
हो ज़ख़्म कितना भी गहरा दिल का, उसे भी दिल में सजा के रखिए।।
@अश्क चिरैयाकोटी