रही ना अब खुद्दारी
धरती के भगवान जो, कहलाते हैं आज।
केवल पैसा चाहते, भूले अपना काज।।
भूलें अपना काज, बने अब तो व्यापारी।
बेच दिए ईमान,रही ना अब खुद्दारी।।
करते ऐसा काम,जेब है जिससे भरती।
मरे भले संसार,भले हो बंजर धरती।।
✍️जटाशंकर”जटा”
धरती के भगवान जो, कहलाते हैं आज।
केवल पैसा चाहते, भूले अपना काज।।
भूलें अपना काज, बने अब तो व्यापारी।
बेच दिए ईमान,रही ना अब खुद्दारी।।
करते ऐसा काम,जेब है जिससे भरती।
मरे भले संसार,भले हो बंजर धरती।।
✍️जटाशंकर”जटा”