रहिमन ओछे नरम से, बैर भलो न प्रीत।
रहिमन ओछे नरम से, बैर भलो न प्रीत।
काटे चाटे स्वान के, दोऊ भांति बिपरीत।।
रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गांठी परिजाय।।
जीवन मे इन पंक्तियों का बहुत ही योगदान रहता है
यदि हम अपने दैनिक जीवन मे इस मार्गदर्शन को आत्मसात करते है तो निसंदेह सफ़लता को अपने पाले मे कर सकते है।