Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Dec 2021 · 2 min read

रहस्य

लघुकथा

रहस्य

राज,भेद, मर्म या यूं कह लीजिए पहेली

सुशील प्रतिदिन जब भी ऑफिस से घर आता तो शैलजा तुरंत दरवाजा खोलती, हाथ से सामान लेती रखती और मुस्कुराते हुए चाय- पानी पिलाती। अपनी प्यारी- प्यारी बातों से सुशील की सारी थकान दूर करती है।एक दिन शैलजा भागवत की कथा सुनकर आई ,उसके बाद वह चुप- चुप रहने लगी ।कुछ दिन बीत गए सुशील सोचने पर मजबूर हो गया कि आखिर हुआ क्या है? उसने अकेले में शैलजा को बड़े प्यार से पूछा आखिर गुमसुम रहने का राज क्या है? इस पर शैलजा बोली, मैं कौन हूं, कहां से आई हूं, आखिर जाना कहां है? हमारे भीतर कौन बसा है, हमारी आंखों की नींद कहां बसी है?
इतने सवाल सुनकर सुशील के होश उड़ गए। उसने शैलजा से पूछा इतने सवाल कहां से लाई? यह तो भौतिक शरीर के भीतर का बहुत बड़ा रहस्य है। देखो शैलजा जितना मुझे आता है मैं उतना तुम्हें बताता हूं।
इस नश्वर संसार में हमें अपने पूर्व जन्मों के किए कर्मों को भोगने के लिए आना पड़ता है, जब ईश्वर द्वारा दिया गया काम समाप्त हो जाता है तब हमें वापिस ईश्वर के पास जाना पड़ता है।न तुम, तुम हो, न मैं ,मैं हूं ,यह रिश्ते नाते सब यही के बंधन है। प्रत्येक जन्मों में विभिन्न देह धारण करनी पड़ती है और ईश्वर द्वारा प्रदत्त कार्य करने के पश्चात हमें जाना पड़ता है।हमारे स्थुल शरीर के अंदर एक सूक्ष्म शरीर है जिसे हम आत्मा कहते हैं। शरीर से आत्मा निकलते ही वह परमात्मा की ओर गमन करती है।निंद्रा हमारी तंद्रा में रहती है जब हम किसी के ध्यान में पूर्ण रूप से खो जाते हैं जब हमारा मस्तिष्क उस ध्यान के चलचित्र में खोकर असीम आनंद प्राप्त करता है और देह की सुध -बुध नहीं रहती तो लोचन पलकों पर निंद्रा का आगमन शुरू हो जाता है।
शारीरिक श्रम के अधिक थकान से जब देह के तंत्र शिथिल हो जाते हैं तब भी निद्रा रानी का आगमन होता है।
अध्यात्म रूप से जहां भगवान का गुणगान हो रहा हो ,अच्छी बातों की चर्चा हो रही हो निद्रा की देवी स्वत: दौड़ी आती है।वैश्यालयों में, निंदा -चर्चा में ,जुआ घरों में निद्रा देवी कभी नहीं आती। इतना कहकर सुशील ने शैलजा से कहा अब तो मेरी हृदयेश्वरी प्रियतमा मुझे भी निद्रा देवी ने जकड़ लिया है। इस पर दोनों जोर से हंस पड़े।

ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश

Language: Hindi
223 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
चवन्नी , अठन्नी के पीछे भागते भागते
चवन्नी , अठन्नी के पीछे भागते भागते
Manju sagar
बुंदेली दोहा-गर्राट
बुंदेली दोहा-गर्राट
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मैं आग नही फिर भी चिंगारी का आगाज हूं,
मैं आग नही फिर भी चिंगारी का आगाज हूं,
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
सजदे में सर झुका तो
सजदे में सर झुका तो
shabina. Naaz
3095.*पूर्णिका*
3095.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हर कोई समझ ले,
हर कोई समझ ले,
Yogendra Chaturwedi
माँ i love you ❤ 🤰
माँ i love you ❤ 🤰
Swara Kumari arya
कैसे भूलूँ
कैसे भूलूँ
Dipak Kumar "Girja"
जय जय तिरंगा तुझको सलाम
जय जय तिरंगा तुझको सलाम
gurudeenverma198
■सामान संहिता■
■सामान संहिता■
*प्रणय प्रभात*
तू उनको पत्थरों से मार डालती है जो तेरे पास भेजे जाते हैं...
तू उनको पत्थरों से मार डालती है जो तेरे पास भेजे जाते हैं...
parvez khan
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
// प्रसन्नता //
// प्रसन्नता //
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
डीजल पेट्रोल का महत्व
डीजल पेट्रोल का महत्व
Satish Srijan
सकट चौथ की कथा
सकट चौथ की कथा
Ravi Prakash
होली के मजे अब कुछ खास नही
होली के मजे अब कुछ खास नही
Rituraj shivem verma
* काव्य रचना *
* काव्य रचना *
surenderpal vaidya
"एक नज़र"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरा प्रयास ही है, मेरा हथियार किसी चीज को पाने के लिए ।
मेरा प्रयास ही है, मेरा हथियार किसी चीज को पाने के लिए ।
Ashish shukla
क्या होगा कोई ऐसा जहां, माया ने रचा ना हो खेल जहां,
क्या होगा कोई ऐसा जहां, माया ने रचा ना हो खेल जहां,
Manisha Manjari
जिंदगी
जिंदगी
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
मदनोत्सव
मदनोत्सव
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
प्रेम
प्रेम
Pushpa Tiwari
मेरे प्रिय पवनपुत्र हनुमान
मेरे प्रिय पवनपुत्र हनुमान
Anamika Tiwari 'annpurna '
काव्य_दोष_(जिनको_दोहा_छंद_में_प्रमुखता_से_दूर_रखने_ का_ प्रयास_करना_चाहिए)*
काव्य_दोष_(जिनको_दोहा_छंद_में_प्रमुखता_से_दूर_रखने_ का_ प्रयास_करना_चाहिए)*
Subhash Singhai
दीप ऐसा जले
दीप ऐसा जले
Kumud Srivastava
थक गया दिल
थक गया दिल
Dr fauzia Naseem shad
जीवन में चुनौतियां हर किसी
जीवन में चुनौतियां हर किसी
नेताम आर सी
अवावील की तरह
अवावील की तरह
abhishek rajak
इन रावणों को कौन मारेगा?
इन रावणों को कौन मारेगा?
कवि रमेशराज
Loading...