रवीश कुमार और अर्णब गोस्वामी
रवीश कुमार का अभी एक लंबा चौड़ा पोस्ट पढ़ा। आप भी पढ़ना। अर्नब पर लिखने का प्रयास कर रहे थे लेकिन लिख अपने बारे में गए। अपने अंदर की तमाम ईर्ष्या और अर्नब के प्रति नफ़रत की भावना को व्यंग्यात्मक रूप देने का प्रयास भी किया। किन्तु भावनाओं में बह गए। पूरे पोस्ट में अपने घर की तुलना अर्नब के घर से करते रहे। खुद को इतना गरीब और बेचारा बताने का प्रयास किया कि कोई नया लड़का पढ़ ले तो पत्रकार बनने का सपना ही छोड़ दे।
फिलहाल बात जब तुलना की ही आ गई तो रवीश जी को पहले अपने बैकग्राउंड, अपने फैमिली बैकग्राउंड और अर्नब के बैकग्राउंड को भी चेक कर लेना चाहिए।
खैर गहराई में आप सब भी दोनों के बारे में रिसर्च कर सकते हैं लेकिन शार्ट में मैं इतना ही कह सकता हूँ कि रवीश जब आप एक छोटे चैनल के रिपोर्टर हुआ करते थे उस वक्त अर्नब देश के सबसे बड़े अंग्रेजी मीडिया चैनल में प्रधान संपादक हुआ करते थे।
रवीश आज भी जिस चैनल में एंकर हैं उस चैनल को गांव वाले जानते तक नहीं जबकि अर्नब का रिपब्लिक भारत गांव-गांव में जमकर देखा जाता है।
फिलहाल अर्नब देश के सबसे लोकप्रिय अंग्रेजी और हिंदी चैनल के मालिक हैं और रवीश गरीब चैनल में नौकरी करते हैं।
लेकिन इन सभी बातों से भी परे बात यह है कि रवीश कुमार अकेले उतनी सैलरी लेते हैं जितना ndtv के सारे कर्मचारी मिलकर पाते होंगे। मतलब इतनी सैलरी है कि हर महीने वो शहर में फ्लैट खरीद सकते हैं और गांव में बंगला बन जाए।
फिर इनका दिखावा देखिए, ये बोल रहे हैं कि इनके पास ढंग का घर नहीं और ये अपनी कार लेकर चलने में शर्माते हैं।
मतलब ढोंग की पराकाष्ठा को पार करने में ये वामपंथी कितना अव्वल होते हैं आप उनकी पोस्ट से समझ सकते हैं।
खैर, आप इनके पेज पर जाकर इनका पोस्ट पढ़िए और विचार कीजिए।
धन्यवाद।