दुःख बांटने से दुःख ही मिलता है
क्या कहें कितना प्यार करते हैं
मन नही है और वक्त भी नही है
किसी पत्थर की मूरत से आप प्यार करें, यह वाजिब है, मगर, किसी
शादी वो पिंजरा है जहा पंख कतरने की जरूरत नहीं होती
हसीनाओं से कभी भूलकर भी दिल मत लगाना
*मन की सभी मलिनताओं का, होता हल संवाद है (हिंदी गजल)*
तन के लोभी सब यहाँ, मन का मिला न मीत ।
हाथों में हाथ लेकर मिलिए ज़रा
#बिखरी वचनकिरचें
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
प्रीत पराई ,अपनों से लड़ाई ।
हर मौसम का अपना अलग तजुर्बा है
जब तक इंसान धार्मिक और पुराने रीति रिवाजों को तर्क के नजरिए