रमेशराज की एक तेवरी
दारू से कुल्ला बम भोले
अब खुल्लमखुल्ला बम भोले |
ईमान बेचकर इस युग में
खुश पण्डित-मुल्ला बम भोले |
हर रोज सियासत मार रही
चाँदों पे टुल्ला बम भोले |
हक़ मांगो, मौन साध जाता
जो बड़ा बतुल्ला बम भोले |
मतलब निकला तो लोग मिले
गालों के फुल्ला बम भोले |
बीबी घर आते क़ैद हुए
जो देखे डुल्ला बम भोले |
जाने किसको अब बांधेगा
रस्सी का गुल्ला बम भोले |
+रमेशराज