रमी मन
इधर कुछ दिनों से मैं भी मुश्किल में हूँ, भूमि-विवाद, थाना-फौजदारी वगैरह-वगैरह ! 22 मार्च से न दाढ़ी बनाया हूँ, न बाल ! चाय, नाश्ता, दूध-मिठाई छोड़ दिया हूँ, …..बावजूद मित्रो की खोज-खबर लेता हूँ और रचनाकर्म से जुड़ा हूँ ! कहते हैं, कुछ न कुछ करते रहने से और मित्रो से संदेश आदान-प्रदान करने दुःख बिसरा चला जाता है । आप घर में बड़े हैं और मेरे विचार से आप में समझदारी और सहनशक्ति काफी है । अभी नियति आपके पक्ष में भले नहीं हो, किन्तु एक दिन अवश्य आप सभी परेशानी और दुःख से निजात पाएंगे और सुखी, समृद्ध और खुशहाल होंगे ! विशेष मिलने पर…. शुभ रात्रि….
मित्रो को इतना लिखकर वह पुन: मैं अपने में रम गया !