रब की रहमत
रंग औ नूर जो,बरसा है रब के दर से,
रंग औ नूर वो,न मिला दुनिया के घर से,
बराबर बराबर ,बाँट सब में वही रेखा ,
कोई नहीं कहीं,रब की रहमत को तरसे।
रंग औ नूर जो,बरसा है रब के दर से,
रंग औ नूर वो,न मिला दुनिया के घर से,
बराबर बराबर ,बाँट सब में वही रेखा ,
कोई नहीं कहीं,रब की रहमत को तरसे।