रब का शुक्राना
✒️?जीवन की पाठशाला ??️
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जो इंसान सच्चे दिल से ठीक से अपना समय हमें नहीं दे सकता ,उससे क्या उम्मीद की जा सकती है की वो हमारा साथ देगा …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की बुरे वक़्त के दौर में जब हमारे पास अपनों के -लोगों के प्रश्नों के जवाब नहीं हों तो धैर्यपूर्वक अपना कार्य ईमानदारी से करते रहना चाहिए और यकीन मानिये वक़्त हमारी सफलता खुद लोगों को बताएगा …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की आज भी इस आधुनिक युग में मानसिक तौर पर हम कितने संकुचित हैं की बेटी और दामाद साथ में घूमें -फिरें -सिनेमा देखें -साथ खाना पीना खाएं तो ईश्वर इनकी मोहब्बत में इजाफा हो -किसी की नजर ना लगे की दुआ मांगते हैं वहीँ अगर ऐसा बेटे और बहु के बीच हो तो बहु को बेटे को काबू में करने -अपनों से दूर करने और कुछ कर दिया है उसके ऊपर शायद इस तरह की अनर्गल बातें करते हैं …,
आखिर में एक ही बात समझ आई की आज के मेरे इस बुरे दौर में शिकवे शिकायतें तो बहुत हैं मुझे ऐ जिंदगी तुझसे फिर ये सोच कर तेरा शुक्रिया अदा करता हूँ की इस दौर में भी तूने जिस तरह से मुझे सम्हाल रखा है उस रब का शुक्राना है …!
बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा ?सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क ? है जरुरी …!
?सुप्रभात?
स्वरचित एवं स्वमौलिक
“?विकास शर्मा’शिवाया ‘”?
जयपुर-राजस्थान
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