Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jan 2018 · 3 min read

”रफी साहब की आवाज़ का जादू”

”रफ़ी साहब की आवाज़ का जादू”..

तेरी आवाज में वो जादू है तिलस्मी नीद तारों की टूट जाती है…….
किसी ने वाकई सच ही कहा- उनकी आवाज में वो जादू है उनके गीतों मे वो कशिश है जिसने उस दौर से आज तक हर आयु वर्ग को दीवाना बना के रखा है।
एक ऐसी आवाज़ जो सीधा रूह में उतर जाती है
उनके गायकी का अन्दाज के कोई निश्चित अन्दाज नही उनकी शख्सियत “इन्सान में फरिस्तेकी खुश्बू आती, उनका फन-औ-हुनर जहाँ एक गायक से गन्धर्व के दर्जे तक ले जाता है, वहीं उनकी शख्सियत ईन्सानियत उनकी फितरत उन्हे आम आदमी से फरिस्ता बनाती है”
रफी साहब के लिए संगीत-गायकी एक पूजा थी उनसे बड़ा कला का पुजारी आज तक देखने को नहीं मिला | उन्होंने जब भी गाया जो भी गाया क्या खूब गाया पूरी तरह डूब के गाया, भजन गाया तो ऐसे लगा जैसे कोई भक्त भक्ती में लीन अपने इष्ट से मनुहार कर रहा हो गजल गाया तो जैसे पहाडो के कुदरती सौन्दर्य के बीच झर झर झरने झर रहे हो, प्यार और इजहार से भरे सौन्दर्य की तारीफ तो जैसे सारा आलम रूमानी रुमानी हो गया दर्द के नगमे जिन्हें सुन सुन टूटे दिल पुर सुकून हो गये, कव्वाली गाया तो पेशेवर कव्वालों को बौना कर दिया शराबी गीतों की क्या कहें वो खुमारी के कैस्टोअली मुखर्जी/अमिताभ बच्चन का अभिनय भी फीका पड जाये।
उन्हें संगीत गायन की हर विधा में महारत हाँसिल थी उनके गायकी का हर अन्दाज निराला था उनके गीतों को सुनकर कई पीढ़ियाँ जवान हुई हैं आज भी उनके गीत हर वर्ग द्वारा पसन्द किये जाते हैं | उनके नगमों से आज भी हमें सुकून मिलता है उनकी आवाज ने कितनी बार हमारे जख्मों पर मरहम लगाया है,ये आवाज कहींजज्बा देती है तो कहीं रोमांचित करती है|
आल इन्डिया रेडियो से संगीत का सफर शुरु करने वाले रफी साहब ‘सुनो सुनो ऐ दुनियाँ वालों बापू की अमर कहानी’ गीत गाकर संगीत की दुनियाँ में ऐसे चमके कि रोशनी आज तक धूमिल नहीं हुई | 24 दिसम्बर 1924 को कोटला-सुल्तान अमृतसर पंजाब में पैदा हुए रफी साहब सीधे घर से निकलकर गायकी करने वालों में नहीं हैं , बल्कि शास्त्रीय संगीत की विधिवत तालीम अथक परिश्रम व लगन के बल पर ही इस मुकाम तक पहुंचे |’होनहार विरवान के होत चीकने पात’ वाली कहावत रफी साहब पर पूरी तरह चरित्रार्थ होती है |
बचपन में स्कूल कालेजों के छोटे मोटे कार्यक्रमों में अपनी कला के प्रदर्शन के साथ 13 वर्ष की छोटी सी उम्र में जब लाहौर के एक जलसे में गाने का मौका मिला तो वहाँ उपस्थित लोग संगीत के बड़े बड़े जानकर हतप्रभ रह गए कि इतनी छोटी सी उमर में भी किसी की ऐसी तान सुरों के उतार चढ़ाव में इतनी अच्छी पकड़ हो सकती है | कार्यक्रम में उपस्थित महान गायक के• एल• सहगल जी ने उनके बड़े भाई हामिद भाई को बुलाकर कहा कि- देख लेना यह लड़का एक दिन बहुत बड़ा गायक बनेगा इसे संगीत की अच्छी तालीम दिलाओ’ ऐसा हुआ भी रफी साहब ने गायकी का जो आयाम रचा वह किसी से छिपा नहीं है | वो लय तान वो बात जो रफी साहब में दिखती किसी दूसरे गायक में नहीं है, गायकी के हर पहलू को ध्यान में रखते हुए तब से आज तक के गायकों की उनसे तुलना की जाये तो मुझे नहीं नहीं लगता कोई भी गायक पूरी तरह खरा उतरता हो |
गीत गीत के बोल व उसके कलाकार की आवाज से आवाज मिलाने में उन्हें महारत हासिल थी | हसरत जयपुरी साहब के शब्दों में- ‘वो सुर के आफताब थे उन जैसा कौन है,वो लय के माहताब थे उन जैसा कौन है,ये और बात है कि करे कोई भी नकल,अपना जवाब आप थे उन जैसा कौन है…
‌रफी साहब तो सिर्फ रफी साहब ही हो सकते हैं, वो फकत गायकी ही नही गले से अदाकारी करते थे अपने गाये गीतों के बीच में कोई अन्तरा या अल्फाज वो इस तरह कह जाते के कोई दूसरा गायक सर पटक कर मर जाये नकल तो दूर नकल की परछाई तक नहीं छू सकता उनका यही फन यही अदाकारी उनका अपना अन्दाज था जिसे हम रफियाना अन्दाज कहते हैं……. Mahesh Tiwari(M.T.”Ayen”)

Language: Hindi
Tag: लेख
3 Likes · 812 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mahesh Tiwari 'Ayan'
View all
You may also like:
‘ विरोधरस ‘---8. || आलम्बन के अनुभाव || +रमेशराज
‘ विरोधरस ‘---8. || आलम्बन के अनुभाव || +रमेशराज
कवि रमेशराज
कविता 10 🌸माँ की छवि 🌸
कविता 10 🌸माँ की छवि 🌸
Mahima shukla
मित्रता क्या है?
मित्रता क्या है?
Vandna Thakur
आज़ कल के बनावटी रिश्तों को आज़ाद रहने दो
आज़ कल के बनावटी रिश्तों को आज़ाद रहने दो
Sonam Puneet Dubey
प्यार और धोखा
प्यार और धोखा
Dr. Rajeev Jain
जन्नत
जन्नत
जय लगन कुमार हैप्पी
सच तो आज न हम न तुम हो
सच तो आज न हम न तुम हो
Neeraj Agarwal
हास्य गीत
हास्य गीत
*प्रणय*
4576.*पूर्णिका*
4576.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*** पल्लवी : मेरे सपने....!!! ***
*** पल्लवी : मेरे सपने....!!! ***
VEDANTA PATEL
प्यार समर्पण माँगता,
प्यार समर्पण माँगता,
sushil sarna
दो दिन की जिंदगानी रे बन्दे
दो दिन की जिंदगानी रे बन्दे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
चाहत है बहुत उनसे कहने में डर लगता हैं
चाहत है बहुत उनसे कहने में डर लगता हैं
Jitendra Chhonkar
पितृ दिवस
पितृ दिवस
Dr.Pratibha Prakash
मैं नहीं तो, मेरा अंश ,काम मेरा यह करेगा
मैं नहीं तो, मेरा अंश ,काम मेरा यह करेगा
gurudeenverma198
हंसगति
हंसगति
डॉ.सीमा अग्रवाल
इंडिया दिल में बैठ चुका है दूर नहीं कर पाओगे।
इंडिया दिल में बैठ चुका है दूर नहीं कर पाओगे।
सत्य कुमार प्रेमी
*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
मुस्किले, तकलीफे, परेशानियां कुछ और थी
मुस्किले, तकलीफे, परेशानियां कुछ और थी
Kumar lalit
अपने मन के भाव में।
अपने मन के भाव में।
Vedha Singh
'रिश्ते'
'रिश्ते'
जगदीश शर्मा सहज
हर दफ़ा जब बात रिश्तों की आती है तो इतना समझ आ जाता है की ये
हर दफ़ा जब बात रिश्तों की आती है तो इतना समझ आ जाता है की ये
पूर्वार्थ
मेरी खूबसूरती बदन के ऊपर नहीं,
मेरी खूबसूरती बदन के ऊपर नहीं,
ओसमणी साहू 'ओश'
****प्रेम सागर****
****प्रेम सागर****
Kavita Chouhan
मुक्तक
मुक्तक
पंकज परिंदा
भाल हो
भाल हो
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
कारगिल युद्ध के समय की कविता
कारगिल युद्ध के समय की कविता
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
" आशा "
Dr. Kishan tandon kranti
पुनीत /लीला (गोपी) / गुपाल छंद (सउदाहरण)
पुनीत /लीला (गोपी) / गुपाल छंद (सउदाहरण)
Subhash Singhai
पाहन भी भगवान
पाहन भी भगवान
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
Loading...