रण गमन
माथे पर तिलक लगा दे मां
ला मीठा दही खिला दे मां
मेरी फिर आज परीक्षा है
तू हंस कर मुझे विदा दे मां
वैरी ने धावा बोला है
फिर आज हिमालय डोला है
खल अरि का करने को विनाश
यह रुधिर हमारा खौला है
आशीष विजयश्री का दे मां
तू हंस कर मुझे विदा दे मां
ऋण तेरी ममता का भी है
ऋण धरती माता का भी है
है रोम-रोम यह ऋणी मेरा
सारी माताओं का भी है
मेरे सबऋण चुकवा दे मां
तू हंसकर मुझे विदा दे मां
ले हाथ तिरंगा मैंआऊं
या लिपट तिरंगे में आऊं
बस आशीर्वाद यही देना
जननी की गोद सदा पाऊं
अब चिरंजीव भव कह दे मां
तू हंसकर मुझे विदा दे मां