रजनी छन्द
रजनी छन्द,
2122 2122 2122 2
गीत
वाट तेरी देखती हूँ मीत आ जाओ।
गुनगुनाते प्रेम का तुम गीत आ जाओ।
रात पूनम की घिरी कुछ याद बिसरी है।
राह सूनी शांत-सी चुप-चाप ठहरी है।
नींद आंखों से छिटक कर दूर भागी है।
प्रेम की कुछ प्यास दिल में आज जागी है।
पड़ रही है मौसमी ये शीत आ जाओ।
वाट तेरी देखती हूँ मीत आ जाओ।
सनसनाती ये हवा दिल को दुखाती है।
साथ महकी-सी कई यादें दिलाती है।
जिस तरह भँवरे बिना उपवन लगे सूना।
उस तरह ही आपके बिन दिल लगे सूना।
आज भरने यार दिल में प्रीत आ जाओ।
वाट तेरी देखती हूँ मीत आ जाओ।
अभिनव मिश्र”अदम्य”