Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Apr 2024 · 1 min read

रजनी छंद (विधान सउदाहरण)

रजनी छंद विधान सउदाहरण (मापनी युक्त ) २३ मात्रा
यति – १४ यति ९ विराम मापनी –
२१२२ २१२२ , २१२२ २
देखते नेता लगाते , वोट के मेले |
कौन रोकेेगा जहाँ में, हो रहे खेले ||
दूर से ही देखते हैं , फेंकते धेले |
जानते मेला घुसे हैं , साँप के चेले ||
~~~~~~~~~~~~~~~~~

रजनी छंद विधान सउदाहरण (मापनी युक्त ) २३ मात्रा
यति – १४ यति ९ विराम मापनी – मुक्तक
२१२२ २१२२ , २१२२ २
लोग आते जानने को , हाल है कैसा |
क्या पुराना दर्द भी है , पूर्व का जैसा |
है भलाई बोल दो ये , आपकी छाया –
चाहते हैं आप जो भी , हाल है बैसा |
~~~~~~~~~~~~~
रजनी छंद विधान सउदाहरण (मापनी युक्त ) २३ मात्रा
यति – १४ यति ९ विराम गीतिका मापनी –
२१२२ २१२२ , २१२२ २
समांत स्वर – आते , पदांत – हैं

लोग देते ज्ञान पूरा , अब सिखाते हैं |
तोड़ना घरों को कैसे , अब बताते हैं ||

बोलते है योजना भी , ये हमारी है,
कौन से तोड़ा घरों को , सब सुनाते हैं |

योजना पूरी बनाते , चाल आगे की ,
देख मौका आग पूरी , तब लगाते हैं |

कौन-सा है काम इनको, जो नहीं आता ,
है गुरू संसार में वह , यह जताते हैं |

काम भी पूरा करेगें , ले रहे ठेका ,
पीठ अपनी ठोकते हैं , थपथपाते हैं |

राह में अड़चन नहीं है , चाल ऐसी है ,
पैदलों को भी बजीरों , से लड़ाते हैं |

अब सुभाषा मान लेना , जानना पूरा ,
गेह लोगों के जले जो , ये जलाते है |

सुभाष सिंघई

Language: Hindi
147 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
इन्सान पता नही क्यूँ स्वयं को दूसरो के समक्ष सही साबित करने
इन्सान पता नही क्यूँ स्वयं को दूसरो के समक्ष सही साबित करने
Ashwini sharma
तेरा - मेरा
तेरा - मेरा
Ramswaroop Dinkar
रमेशराज की वर्णिक एवं लघु छंदों में 16 तेवरियाँ
रमेशराज की वर्णिक एवं लघु छंदों में 16 तेवरियाँ
कवि रमेशराज
आज फिर हाथों में गुलाल रह गया
आज फिर हाथों में गुलाल रह गया
Rekha khichi
कभी मिले फुरसत तो उन लड़कों के बारे में सोचना,
कभी मिले फुरसत तो उन लड़कों के बारे में सोचना,
पूर्वार्थ
आजकल नहीं बोलता हूं शर्म के मारे
आजकल नहीं बोलता हूं शर्म के मारे
Keshav kishor Kumar
ऐसे यूं ना देख
ऐसे यूं ना देख
Shashank Mishra
आपकी बुद्धिमत्ता को कभी भी एक बार में नहीं आंका जा सकता क्यो
आपकी बुद्धिमत्ता को कभी भी एक बार में नहीं आंका जा सकता क्यो
Rj Anand Prajapati
मुक्तक
मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
लगाकर तू दिल किसी से
लगाकर तू दिल किसी से
gurudeenverma198
रिमझिम बूँदों की बहार
रिमझिम बूँदों की बहार
Pratibha Pandey
खबर देना
खबर देना
Dr fauzia Naseem shad
Khata kar tu laakh magar.......
Khata kar tu laakh magar.......
HEBA
वो प्यार ही क्या जिसमें रुसवाई ना हो,
वो प्यार ही क्या जिसमें रुसवाई ना हो,
रुपेश कुमार
बांते
बांते
Punam Pande
* मुक्तक *
* मुक्तक *
surenderpal vaidya
जान हो तुम ...
जान हो तुम ...
SURYA PRAKASH SHARMA
" रफूगर "
Dr. Kishan tandon kranti
हमारी शान है हिन्दी,   हमारा मान है हिन्दी।
हमारी शान है हिन्दी, हमारा मान है हिन्दी।
डॉ.सीमा अग्रवाल
कुछ ही देर लगती है, उम्र भर की यादें भुलाने में,
कुछ ही देर लगती है, उम्र भर की यादें भुलाने में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
विकट संयोग
विकट संयोग
Dr.Priya Soni Khare
आसाँ नहीं है - अंत के सच को बस यूँ ही मान लेना
आसाँ नहीं है - अंत के सच को बस यूँ ही मान लेना
Atul "Krishn"
खाली सड़के सूना
खाली सड़के सूना
Mamta Rani
आज़ादी के दीवानों ने
आज़ादी के दीवानों ने
करन ''केसरा''
रिश्तों की बंदिशों में।
रिश्तों की बंदिशों में।
Taj Mohammad
पर्यावरण के उपहासों को
पर्यावरण के उपहासों को
DrLakshman Jha Parimal
मां नर्मदा प्रकटोत्सव
मां नर्मदा प्रकटोत्सव
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
जिंदगी मैं हूं, मुझ पर यकीं मत करो
जिंदगी मैं हूं, मुझ पर यकीं मत करो
Shiva Awasthi
गाॅंधीजी के सत्य, अहिंसा के मार्ग पर चलना चाहिए,
गाॅंधीजी के सत्य, अहिंसा के मार्ग पर चलना चाहिए,
Ajit Kumar "Karn"
3317.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3317.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
Loading...