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24 Dec 2024 · 1 min read

रचना

कृपा तुम्हारी भगवन
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कृपा तुम्हारी भगवन
जग में समा रही है
उपवन में फूल खिला रही है ।

कृपा तुम्हारी भगवन
रवि-चंद्र चमका रही है
तारे टिमटिमा रही है ।

कृपा तुम्हारी भगवन
हर जीव में सांस चला रही है
वसुंधरा पर प्राण वायु बहा रही है ।

कृपा तुम्हारी भगवन
सागर गहरा बहा रही है
ऋतुओं का करतब दिखा रही है ।

कृपा तुम्हारी भगवन
संपूर्ण ब्रह्मांड में वर्णन हो रही है
भक्ति की शक्ति लुभा रही है ।

कृपा तुम्हारी भगवन
ज्ञान की ज्योति जला रही है
हृदय में उत्साह- उमंग भर रही है ।

– मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
ग्राम रिहावली, डाक घर तारौली गूजर, फतेहाबाद, आगरा, उत्तर प्रदेश 283111

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