रख लो ना
रख लो ना
मुझे बस इतने से काम पर रख लो ना !
जब चलते चलते तुम्हारी पतलून की बालकनी से रुमाल का लिबास गिर जाये ,
तो उसे उठाकर वापस तुम्हारी पाकिट में रख दूं
और तुम मुस्कुराकर रफतार पकड लो l
तुम्हारे किसी काम आ सकूँ मैं ,
तुम मुझे बस इतने से काम पर रख लो ,
रख लो ना l
जब शेव करते करते रेज़र सरफिरा हो जाये ,
ब्ल्डे से ब्लीड हो जाये ,
तो मैं बहते तुम्हारे लहू को अंगूठे से दबा दूं
और तुमहे दर्द का एहसास भी ना हो l
तुम्हारे किसी काम आ सकूँ मैं ,
तुम मुझे बस इतने से काम पर रख लो ,
रख लो ना l
जब टाई बांधते बांधते गिरह ठीक से ना बंध पाये ,
समोसे वाला शेप ना बन पाये ,
तो उस आड़ी – टेड़ी गिरह को करीने से
तरीके से तुम्हारी गरदन पर लपेट दूं l
तुम्हारे किसी काम आ सकूँ मैं ,
तुम मुझे बस इतने से काम पर रख लो ,
रख लो ना l
जब दफतर जाते हुए तुम अपना टिफीन भूल जाओ ,
मसरूफियत मे ज़ायका भूल जाओ ,
तो मैं दौडकर तुमहे खाना लाकर दूँ
और तुम खुशबू से तर हो जाओ l
तुम्हारे किसी काम आ सकूँ मैं ,
तुम मुझे बस इतने से काम पर रख लो ,
रख लो ना l
रख लो ना के मुझे तुम्हारा काम करना ,
काम के बहाने तुम्हारे करीब रहना अच्छा लगता है ,
तुम मेरे हो , जीवन का ये सच सच्चा लगता है l
सोनल निर्मल नमिता