रखे गिरवी हैं’ आभूषण,
रखे गिरवी हैं’ आभूषण, छपाई भी अधूरी है,
अभी बच्चों की’ भी देखो, पढ़ाई भी अधूरी है ।
अभावों से भरा जीवन, हुआ है काल भी निष्ठुर,
उमंगें हो गईं चौपट, कलाई भी अधूरी है ।
दीपक चौबे ‘अंजान’
रखे गिरवी हैं’ आभूषण, छपाई भी अधूरी है,
अभी बच्चों की’ भी देखो, पढ़ाई भी अधूरी है ।
अभावों से भरा जीवन, हुआ है काल भी निष्ठुर,
उमंगें हो गईं चौपट, कलाई भी अधूरी है ।
दीपक चौबे ‘अंजान’