रक्षा बंधन
रेशम का रक्षासूत्र उनकी कलाई में,
जो निकल आये हैं घरों से
हाथों में लेकर छिड़काव मसीन
हमारें गली मुहल्ला सड़क पर
साफ सफाई के लिए
ताकि हम रह सकें
हर तरह की वायरल जनित वायरस से सुरक्षित,
उनके लिए ,जो
अपना परिवार छोड़कर
आ गए है हमलोगों के परिवार को बचाने
सफ़ेद लिबासों में क़ैद होकर
एम्बुलेंस हॉस्पिटल और हमारें दिलो में
उनके लिए,जो अपनें बच्चें की फ़िकर छोड़कर
हम सब के लिए खड़े हैं
धूप बरसात आंधी तूफान में
खुले आसमान के नीचें
मुस्कुरातें हँसते हुए
अपनी ड्यूटी निभातें
ख़ाकी वर्दी में बिना डरे सहमे,
इनके कलाई में हम
रेशम का रक्षासूत्र बाँधें
और प्रार्थना करें,’की ईश्वर हर
बुरी बला से इन्हें महफूज़ रखें,
ताकि ये हमारी हिफाज़त करते रहे
विपत्तियों में भेदभाव रहित ऐसे ही हमेसा” ।।
©बिमल तिवारी “आत्मबोध”
देवरिया उत्तर प्रदेश