रक्षाबंधन
रक्षाबंधन
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कच्चे धागों में बँधा अटूट अनमोल रिश्ता है
मन की आवाज पर एकदूजे हेतु दौड़े जाते हैं,
बचपन बीतता नोकझोंक छोटी लड़ाइयों में
सयाने होते ही बहन-भाई रक्षाकवच हो जाते हैं।
नहीं रहा सीमित अब रक्षाबंधन भाई-बहन में
हृदयों में जहाँ प्रेम है वहीं उत्सव हो जाता है,
यह प्रेम इंसानों में खोने लगा है तीव्र गति से
पशु-पक्षियों, प्रकृति-मध्य प्रचुर मिल जाता है।
तो चले रक्षाबंधन के उत्सव को सीमाहीन करें
बेजुबानों, प्रकृति के संग भी समय व्यतीत करें
इनका मौन प्रेम पहचानें, अपने मन में बसायें
रक्षा का संकल्प ले, संग इनके रक्षाबंधन मनायें।
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#डा०भारतीवर्माबौड़ाई