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1 Sep 2023 · 1 min read

रक्षाबंधन

हल्दी की एक गांठ, सील-बट्टे पर पीसी जाती थी।
बड़े भाव से कुएं वाली, दूब तोड़ वो ले आती थी।।
अम्मा से गुड़ दही मांग, वो थाल सजाया करती थी।
थाल में टूटा चावल न हो, वो ध्यान दिया करती थी।।
घी का दीपक थाल में रखकर, मुग्ध हुआ करती थी।
ऐसे ही बहन सदा, भाई के रक्षा की दुआ करती थी।।
उसका यह उत्साह देख, मां बाप प्रफुल्लित होते थे।
जो भी उनसे बन पड़ता, प्रेम उपहार दिया करते थे।।
बहनों के उत्साह मात्र से, घर में उत्सव हो जाता था।
रक्षा प्रतिरक्षा का भाव मात्र, कवच रूप हो जाता था।।
ये हैं संतान एक ही के, पर दोनों में पवित्र एक बंधन है।
जिसमें हो रक्षा भाव सदा, वही बंधन तो रक्षा बंधन है।।

Language: Hindi
1 Like · 133 Views

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