रक्षाबंधन
रक्षाबन्धन विशेष
विधा-गीत
सुपावन राखी का त्यौहार।
लुटाता शाश्वत अनुपम प्यार।।
माथे पर शोभित भाई के,
अक्षत -चंदन टीका।
मुखड़े पर मुस्कान बहन के,
होए कभी न फीका।।
उपस्थित बचपन के मनुहार।
लुटाता शाश्वत अनुपम प्यार।।१।।
रेशम की डोरी को बॉंधे,
बहना बंधु कलाई।
कर में लिए सप्रेम खिलाती,
मोदक रस्समलाई।
खुशी से दे भाई उपहार।
लुटाता शाश्वत अनुपम प्यार।।२।।
राजा बलि के साथ याद में,
कृष्ण द्रौपदी आए।
कर्मावती हुमायूं वाली,
राखी गर्व दिलाए।।
बधाई देता यह संसार।
लुटाता शाश्वत अनुपम प्यार।।३।।
**माया शर्मा, पंचदेवरी, गोपालगंज ( बिहार)**