रक्षाबंधन और सुरक्षा
अब समय आ गया है
कि स्त्री रक्षा माँगे ही नहीं,
रक्षा प्रदान करे।
जो स्वयं इतनी शक्तिशाली हो
वे कब तक पुरुषों से
सुरक्षा मांगती रहेगी
आज पृथ्वी संकट में है,
पशु-पक्षी संकट में है,
मानव संकट में है,
और सत्य संकट में है।
पुरुष के साथ-साथ स्त्री का भी दायित्व है
कि इस रक्षाबंधन पर संकल्प ले
हारती हुई सच्चाई की रक्षा करने का।
बहनों, बहुत ले ली सुरक्षा,
अब आगे आओ और
दुर्बलों को रक्षा प्रदान करो!
रक्षाबंधन को ऊँचा अर्थ दो!