रक्त बहा बलिदानों से (गीत)
रक्त बहा बलिदानों से ( गीत )
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मिली देश को आजादी थी रक्त बहा बलिदानों से
(1)
फाँसी के फंदों को देखो इन पर लिखी कहानी है
जो शहीद हो गए देश पर उनकी धन्य जवानी है
देश हुआ आजाद भगत सिंह के फेंके हथगोलों से
भारत माता की जय कहती पिस्तौलों के बोलों से
गोली सीने पर खाने वाले अनगिनत जवानों से
मिली देश को आजादी थी रक्त बहा बलिदानों से
(2)
यह सुभाष से मिली हिंद को आजादी थी आई
जिसने खून माँग कर आजादी की अलख जगाई
यह आजाद हिंद की सेना दुश्मन से टकराई
महिलाओं ने सौंपी स्त्रीधन की पूर्ण कमाई
दे उतार कर दिए स्वर्ण-आभूषण कुंडल कानों से
मिली देश को आजादी थी रक्त बहा बलिदानों से
(3)
जब सावरकर ने कोल्हू को बनकर बैल चलाया
जेल सेल्युलर में अनगिन का यौवन गया गलाया
वीर चंद्रशेखर ने खुद को माँ की भेंट चढ़ाया
राजगुरु सुखदेव युवा को फंदा फाँसी भाया
वंदन जिनको प्यार हुआ था चिता और शमशानों से
मिली देश को आजादी थी रक्त बहा बलिदानों से
(4)
यह था वीर – प्रवाह शिवाजी ने राणा ने पाया
नहीं शीश अकबर औरँगजेबों को कभी झुकाया
यह थी शीश कटाने वाली शीशगंज की गाथा
लक्ष्मीबाई के रण – कौशल से यह ऊँचा माथा
बाहर आईं शौर्य दिखाती तलवारें जब म्यानों से
मिली देश को आजादी थी रक्त बहा बलिदानों से
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 999761 5451