रक्तदान पर कुंडलिया
दानी बन के नाम का,करते थे जो बात |
पंसारी का काम है , जैसे थे जज़्बात |
जैसे थे जज़्बात,चाहते दान न करिये |
छलते छलिया नित्य, बचाते इनसे रहिये |
रक्तदान का काम , सभी सूरत पहचानी |
व्यवसायी की तरह ,दान करते जो दानी |
होता है व्यापार जो, रक्त दान के नाम|
व्यवसायी बन बेचते , करें इसे बदनाम..|
करें इसे बदनाम ,इसे उद्योग चुनेंगे ..|.
पंसारी का काम, चिकित्सक शीश धुनेंगे|
कहें प्रेम कविराय, अस्मिता मानो खोता|
रक्तदान बिन शुद्ध , रक्त क्या संभव होता|
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम